STRINGS-bound by faith

A Travelouge love story.90min,35mm,1:1.85 aspect ratio,Dolby Digital,Colour,English/Hindi.2006.INDIA.

My Photo
Name:
Location: bombay, India

Son of a soldier, I was born in Sultanganj in Bhagalpur district, Bihar. My childhood days were spent in an earthy rural life. I was deeply inspired by the rich folk culture of Buddha’s own land, Bihar. Right from the beginning, I Grew up with real images of Melas, Ramleelas, Bahuripiyas, incredible rituals, strong religious milieu and the vibrant Mithila Art. Natural calamities like flood and drought gifted unforgettable images. Changing seasons of rural life on the bank of river Ganga matured into a sense of poetry and language. Wonder years passed chasing steam trains that passed through the fields of my native village. Listening to radio programs made for defense personals was my only window to the outside world. With such a treasure of inspirational experiences a story teller evolved. I am a practicing film maker in Bombay today.

On the name of religion dozens of Hindu hermits in saffron robes angrily burned the CDs and posters of 'Strings'.

Hindu hermits burn the effigy of Sanjay Jha, the director of Bollywood film Strings, during a protest in Allahabad, India, Monday, July 17, 2006.

Sunday, June 03, 2007

This is the poem published in 1969 by National Poet Baba Nagarjuna.I have used these lines as metaphors and images in form of music in my film 'Strings-bound by faith'. Presently suffering SUPER-CENSORSHIP by Sadhus of Allahabad and fighting over an P.I.L at High Court, Allahabad.Film is Censored by Central Board Of Film Certification,Goverenment Of India.Music is composed by Zubeen Garg.You can enjoy the Poem on-line here.

मंत्र कविता / नागार्जुन

ॐ श‌ब्द ही ब्रह्म है..

ॐ श‌ब्द्, और श‌ब्द, और श‌ब्द, और श‌ब्द

ॐ प्रण‌व‌, ॐ न‌ाद, ॐ मुद्रायें

ॐ व‌क्तव्य‌, ॐ उद‌ग‌ार्, ॐ घोष‌णाएं

ॐ भ‌ाष‌ण‌...

ॐ प्रव‌च‌न‌...

ॐ हुंक‌ार, ॐ फ‌टक‌ार्, ॐ शीत्क‌ार

ॐ फुस‌फुस‌, ॐ फुत्क‌ार, ॐ चीत्क‌ार

ॐ आस्फ‌ाल‌न‌, ॐ इंगित, ॐ इश‌ारे

ॐ न‌ारे, और न‌ारे, और न‌ारे, और न‌ारे


ॐ स‌ब कुछ, स‌ब कुछ, स‌ब कुछ

ॐ कुछ न‌हीं, कुछ न‌हीं, कुछ न‌हीं

ॐ प‌त्थ‌र प‌र की दूब, ख‌रगोश के सींग

ॐ न‌म‌क-तेल-ह‌ल्दी-जीरा-हींग

ॐ मूस की लेड़ी, क‌नेर के प‌ात

ॐ ड‌ाय‌न की चीख‌, औघ‌ड़ की अट‌प‌ट ब‌ात

ॐ कोय‌ल‌ा-इस्प‌ात-पेट्रोल‌

ॐ ह‌मी ह‌म ठोस‌, ब‌ाकी स‌ब फूटे ढोल‌


ॐ इद‌म‌ान्नं, इम‌ा आपः इद‌म‌ज्य‌ं, इद‌ं ह‌विः

ॐ य‌ज‌म‌ान‌, ॐ पुरोहित, ॐ राज‌ा, ॐ क‌विः

ॐ क्रांतिः क्रांतिः स‌र्व‌ग्व‌ं क्रांतिः

ॐ श‌ांतिः श‌ांतिः श‌ांतिः स‌र्व‌ग्व‌ं श‌ांतिः

ॐ भ्रांतिः भ्रांतिः भ्रांतिः स‌र्व‌ग्व‌ं भ्रांतिः

ॐ ब‌च‌ाओ ब‌च‌ाओ ब‌च‌ाओ ब‌च‌ाओ

ॐ ह‌ट‌ाओ ह‌ट‌ाओ ह‌ट‌ाओ ह‌ट‌ाओ

ॐ घेराओ घेराओ घेराओ घेराओ

ॐ निभ‌ाओ निभ‌ाओ निभ‌ाओ निभ‌ाओ


ॐ द‌लों में एक द‌ल अप‌न‌ा द‌ल, ॐ

ॐ अंगीक‌रण, शुद्धीक‌रण, राष्ट्रीक‌रण

ॐ मुष्टीक‌रण, तुष्टिक‌रण‌, पुष्टीक‌रण

ॐ ऎत‌राज़‌, आक्षेप, अनुश‌ास‌न

ॐ ग‌द्दी प‌र आज‌न्म व‌ज्रास‌न

ॐ ट्रिब्यून‌ल‌, ॐ आश्व‌ास‌न

ॐ गुट‌निरपेक्ष, स‌त्त‌ास‌ापेक्ष जोड़‌-तोड़‌

ॐ छ‌ल‌-छ‌ंद‌, ॐ मिथ्य‌ा, ॐ होड़‌म‌होड़

ॐ ब‌क‌व‌ास‌, ॐ उद‌घ‌ाट‌न‌

ॐ म‌ारण मोह‌न उच्च‌ाट‌न‌


ॐ क‌ाली क‌ाली क‌ाली म‌ह‌ाक‌ाली म‌ह‌ाक‌ाली

ॐ म‌ार म‌ार म‌ार व‌ार न ज‌ाय ख‌ाली

ॐ अप‌नी खुश‌ह‌ाली

ॐ दुश्म‌नों की प‌ाम‌ाली

ॐ म‌ार, म‌ार, म‌ार, म‌ार, म‌ार, म‌ार, म‌ार

ॐ अपोजीश‌न के मुंड ब‌ने तेरे ग‌ले क‌ा ह‌ार

ॐ ऎं ह्रीं क्लीं हूं आङ

ॐ ह‌म च‌ब‌ायेंगे तिल‌क और ग‌ाँधी की ट‌ाँग

ॐ बूढे़ की आँख, छोक‌री क‌ा क‌ाज‌ल

ॐ तुल‌सीद‌ल, बिल्व‌प‌त्र, च‌न्द‌न, रोली, अक्ष‌त, ग‌ंग‌ाज‌ल

ॐ शेर के द‌ाँत, भ‌ालू के न‌ाखून‌, म‌र्क‌ट क‌ा फोत‌ा

ॐ ह‌मेश‌ा ह‌मेश‌ा राज क‌रेग‌ा मेरा पोत‌ा

ॐ छूः छूः फूः फूः फ‌ट फिट फुट

ॐ श‌त्रुओं की छ‌ाती अर लोह‌ा कुट

ॐ भैरों, भैरों, भैरों, ॐ ब‌ज‌रंग‌ब‌ली

ॐ ब‌ंदूक क‌ा टोट‌ा, पिस्तौल की न‌ली

ॐ डॉल‌र, ॐ रूब‌ल, ॐ प‌ाउंड

ॐ स‌ाउंड, ॐ स‌ाउंड, ॐ स‌ाउंड


ॐ ॐ ॐ

ॐ ध‌रती, ध‌रती, ध‌रती, व्योम‌, व्योम‌, व्योम‌, व्योम‌

ॐ अष्ट‌ध‌ातुओं के ईंटो के भ‌ट्टे

ॐ म‌ह‌ाम‌हिम, म‌हम‌हो उल्लू के प‌ट्ठे

ॐ दुर्ग‌ा, दुर्ग‌ा, दुर्ग‌ा, त‌ारा, त‌ारा, त‌ारा

ॐ इसी पेट के अन्द‌र स‌म‌ा ज‌ाय स‌र्व‌ह‌ारा

ह‌रिः ॐ त‌त्स‌त, ह‌रिः ॐ त‌त्स‌त‌

[रचनाकार:नागार्जुन - 1969]

jhaji.

Saturday, March 03, 2007

HAPPY HOLI

Happy Holi to all from india.

Monday, February 19, 2007



पटना, जागरण ब्यूरो : फिल्म फेस्टिवल में स्टि्रंग दिखाये जाने के पूर्व फिल्म के निर्देशक संजय झा दर्शकों से मुखातिब हुए और कहा मेरे लिए यह भावुक क्षण है क्योंकि अपनों के बीच अपना काम दिखाने खड़ा हूं।
संवाद कार्यक्रम के तहत स्टि्रंग पर हुई चर्चा के क्रम में संजय ने कहा कि यह फिल्म स्वतंत्र सिनेमा के तौर पर बनी है। हम जैसे लोग जो अपनी विद्या को अपने ढंग से जीते हैं उनके लिए यह फिल्म है। उन्होंने कहा कि वह अपनी अगली फिल्म का निर्माण इसी कड़ी में करेंगे। यह फिल्म न तो किसी कामर्शियल दबाव में बनी है और न ही अपना दर्शन लोगों पर थोपने की कोशिश की गयी है। श्री झा ने कहा कि उनकी यह कोशिश है कि इंडिपेंडेंट सिनेमा जिंदा रहे। उन्हांेंने कहा कि इलाहाबाद जैसे शहर में उनकी फिल्म में मंत्र कविता का इस्तेमाल किए जाने पर जनहित याचिका दायर की गयी है जबकि ट्रायल में एक साधु तक नहीं पहुंचे। संजय ने कहा कि फिल्म में धर्म कहीं नहीं है बल्कि उन्होंने आस्था को दिखाया है जो व्यक्तिगत होती है। उन्होंने कहा कि इस फिल्म का निर्माण मेरी लिए चुनौती से भरा था। मैंने इस क्रम में बहुत ही ईमानदार कोशिश की है। चर्चा में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के निदेशक सुनील कुमार सिन्हा, एनएन पांडेय व विनोद अनुपम शामिल थे।

ओम डालर, ओम रुबल, ओम पाउंड.. और फिर नासिक का कुंभ
पटना, जागरण ब्यूरो : अंतिम चरण की ओर बढ़ रहे पटना फिल्म फेस्टिवल के पांचवें दिन संजय झा द्वारा निर्देशित व निर्मित स्टि्रंग आकर्षण का केंद्र रही। स्टि्रंग का देखना लोगों के लिए कई मायने में अद्भुत रहा। फिल्म निर्माता ने फिल्म को बाबा नागार्जुन को समर्पित किया है। बिना किसी सेट के बनी इस फिल्म में बाबा नागार्जुन की कविता मंत्र को गीत के स्वरूप में फिल्माना भी फिल्म का बड़ा पक्ष है। बाबा नागार्जुन की कविता ओम डालर, ओम रूबल, ओम पाउंड, ओम साउंड.. पर इलाहाबाद में जनहित याचिका भी दर्ज की जा चुकी है। लेकिन फिल्म में इस कविता को जिस परिपेक्ष्य में उपयोग किया गया है वह विवाद से परे है।
फिल्म में कई जगहों पर कामर्शियल सिनेमा का टच भी है। बारिश में फिल्माया गया गीत रिमझिम-रिमझिम बारिश.. को भी दर्शकों ने खूब सराहा। फिल्म का संगीत जुबीन गार्गट का है। फिल्म पटना के सिने प्रेमियों के बीच पहली बार दिखायी गयी थी। कहानी वारेन हेस्टिंग्स नाम के एक ब्रिटिश युवक के नासिक के कुंभ में आने से शुरू होती है। वारेन के दादा अंग्रेजी हुकूमत में भारत में थे और उनकी डायरी को पढ़कर वह नासिक चला आया है। नासिक में वह एक पुजारी के घर ठहरता है। पुजारी की बेटी कृष्णा से उसे प्रेम हो जाता है और एक दिन दोनों के बीच.। फिल्म में कुंभ के कई दृश्यों को काफी बेहतर अंदाज में फिल्माया गया है। नागा साधुओं के स्नान और शोभा यात्रा के दृश्य देखते ही बनते हैं। इसी तरह मेले में घूमने वाले बहुरुपिए को भी बड़े ही रोचक तरीके से दिखाया गया है। धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण शहरों का यह संस्कार की छोटे-छोटे लोग किस अदा में विदेशी पर्यटकों से अंग्रेजी में बात करते हैं, भी फिल्म में बखूबी दिखा है। यूं कहे हनुमान जी भी अंग्रेजी बोलते हैं। फिल्म फेस्टिवल में सोमवार को तेलगू फिल्म शंकर भरनम भी चर्चा में रही। इसके अतिरिक्त विमल राय की बंदिनी भी दिखायी गयी।

http://epaper.jagran.com/main.aspx?edate=2/14/2007&editioncode=42&pageno=2#

Wednesday, February 07, 2007

STRINGS has been invited to PATNA FILM FESTIVAL.
For the first time my home state will view my film. I wish Allahabad High Court dismisses the P.I.L lodged by the sadhu's of Allahabad on the poem 'MANTRA' by Baba Nagarjun, and I am able to release the film through out the country.

Hope the holy dip in the river Ganga in Allahabad-kumbh recently has strengthened the Sadhu's spritual quests to review the understanding of the poem .

the journey continues...

Sunday, December 31, 2006

happy new year to all blogger friends
cheers
jhaji.

Friday, October 27, 2006

mise- en- scene of independant cinema in india


My blogger friend Michael made my morning by informing the DVD overseas release of my film -STRINGS.[ thank you Michael ]

This was awaited news from 'HMV-Sa Re Ga Ma' people but it seems they are still busy with their yearly festival holidays.
In the process of making this DVD master i had to go through the same grind of power and politics of, 'buying and selling marketing stratergies' etc, etc... Again as an independent film maker,I was reminded severely that my film has no 'STARS' and takers etc...

When we did this DVD agreement with HMV,it was always clear that mastering will be done in my supervision. First they told me it will be done in Madras,later i was informed by my partner producer to check the mastering done at a very small studio in Mumbai itself with no proper adequate equipments and skills.I found the work was a complete disaster-
[A.] they had no clue about the subtitles,they just couldn't follow any dialogues and in the 'Mantra'[OM] poem words were not only copied literally but also words were missing from what was rendered forget the translations.It was all inspite of me giving them a DVD copy of the film which i had made for the CANNES and other film festivals which had correct subtitles...
[B.] they had used wipes of graphical 'OM' symbol between the chapters in DVD-I had a big objection to it because this was never an idea right from conceptualisation of the film to bring any religious symbols into it.In fact i am suffering in theatrical releases till date because of a PIL lodged by Sadhus of Allahabad on one poem used by me in the film which has word 'OM'...
[C.] due to the absence of a proper converter used in changing the telecine of the film from PAL to NTSCE for mastering DVD the pigmentations of the colour of the film was drastically distorted.
When i expressed my objections to HMV they made me feel guilty for having made a film without a star and sadly my partner producer got sold to this very CLICHE idea of film making and came in the way. so we lost a lot of time and days in debate.later in pressure of the D-line from the corporate desk they released my DVD with the same disasterous mistakes harming the film and violating my rights as a writer,producer and director of the film.

I felt very hurt and disturbed,never thought that passion could be crushed.I was alone in this fight.When i gave them an ultimatum of going into legal disputes they stopped the process of printing[as they claimed] and i hope so. But by the time they had released 2000 copies of the DVD's for the domestic market,they also ended up creating a lot of misunderstanding between me and my partner.
Later on a very compromising note i went to do my DVD mastering at shemaroo on my own. Completed the work by paying ourselves.HMV did take the new master from us but i am not sure which version is where...
and i don't know the accountability of those 1999 copies released earlier [i have one which i bought from the local shop in a mall]
Hope they have released the correct version with meaningful subttitles and without any religious signs in the index of the DVD.

This film took me three years to come to this stage and we have yet to recover our money.

LONG LIVE INDEPENDANT CINEMA IN INDIA

Sunday, September 17, 2006

wonder and surprise...

i just wonder, baba nagarjun being such an important poet of india, when his poem 'mantra' in my film 'strings' faced such strong 'super censorship' today,why no literary person raised a voice against it...

poem being in public domain almost for 35 years today and with due rights taken, and being composed musically, i feel so let down and lonely with the discouragement shown towards this effort specially by hindi literary circle by not raising a voice against such an attack on the rights of expressions of a poet.

PIL is filed in Allahabad High court by Hindu Sadhus against the text of the poem 'mantra' written in 1969 by baba Nagarjun.

my film 'STRINGS' has no takers just because no multiplex theatre wants to take any risk of any damage by fanatics around. distributers want film to be free from all legalities. PIL in Allahabad High court has been frozen as Hindu sadhu's have realised that there are no super stars in my film,hence they will not gain any publicity.i am stuck...


in total there are only two reports in hindi on the poem and 'super censorship' till date ...
one in hindi 'outlook'and other in hindi daily 'amar ujala' in Bareli.